By अनन्या मिश्रा | Dec 01, 2024
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में न सिर्फ पुरुषों का बड़ा योगदान रहा, बल्कि महिलाओं ने भी आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। उस दौर में महिलाएं जब पर्दे के पीछे रहा करती थीं, तो वहीं कुछ महिलाओं ने अपने प्राणों को संकट में डालकर देश के लिए अपना योगदान दिया। आजादी की लड़ाई में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का नाम भी शामिल है। आज ही के दिन यानी की 01 दिसंबर को विजयलक्ष्मी पंडित का निधन हो गया था। वह एक ऐसी स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो आजादी की लड़ाई में कई बार जेल भी गई थीं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर विजयलक्ष्मी पंडित के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 18 अगस्त 1900 को विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और मां का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। विजयलक्ष्मी की पढ़ाई उनके घर आनंद भवन से हुई। वहीं साल 1921 में काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रंजीत सीताराम पंडित से विजयलक्ष्मी पंडित का विवाह हुआ। शादी के बाद भी विजयलक्ष्मी लगातार सुर्खियों में बनी रहीं।
राजनीतिक सफर
बता दें कि देश की आजादी की जंग में विजयलक्ष्मी ने खुद को समर्पित कर दिया था। उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। जब साल 1935 में भारत सरकार अधिनियम लागू हुआ, तो साल 1937 में इस कानून के तहत कई प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनीं। इसमें विजय लक्ष्मी पंडित को यूपी संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। अंग्रेजों के शासन में कैबिनेट पद पाने वाली वह पहली महिला थीं। उनकी पहचान सिर्फ जवाहर लाल नेहरू की बहन के रूप में नहीं बल्कि उन्होंने अपने संघर्षों से देश और विदेश में भी अपनी पहचान बनाई थी।
महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष
विजयलक्ष्मी पंडित ने महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए कई संघर्ष किए। विजयलक्ष्मी पंडित ने साल 1956 में हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम बनाने का बहुत प्रयास किया था। इसी कानून के बाद अपने पति और पिता की संपत्ति में महिलाओं को उत्तराधिकार प्राप्त हो सका था। इसके अलावा उन्होंने साल 1952 में चीन जाने वाले सद्भावना मिशन का भी नेतृत्व किया था।
मृत्यु
वह पहली महिला थीं, जिन्होंने भारतीय महिला शक्ति की समाज में नई पहचान बनाई थी। विजयलक्ष्मी कई देशों की राजदूत होने के अलावा कुछ राज्यों की राज्यपाल भी रहीं। फिर अपनी ही भतीजी इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का विरोध करने के दौरान वह सुर्खियों में आई थीं। इस विरोध में उन्होंने कांग्रेस पार्टी तक छोड़ दिया था। वहीं 01 दिसंबर 1990 को 90 साल की उम्र में विजयलक्ष्मी पंडित का निधन हो गया था।