By अनन्या मिश्रा | Apr 17, 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान होने के बाद राज्य में सियासी पारा हाई हो गया है। ऐसे में कर्नाटक की वरुणा विधानसभा सीट राज्य की प्रमुख सीटों में से एक हैं। यह सीट राजनीतिक लिहाज से काफी मायने रखती है। वहीं वरुणा विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर होने वाली है। आपको बता दें कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने अपने बेटे की सीट यानी की वरुणा से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव जीतने के दावे शुरु हो चुके हैं।
सिद्धारमैया लड़ेंगे चुनाव
आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं भाजपा ने सिद्धारमैया को कांटे की टक्कर देने के लिए इस सीट से लिंगायत नेता वी सोमन्ना को मैदान में उतारा है। पूर्व सीएम येदियुरप्पा द्वारा अपने बेटे बी.वाई. विजयेंद्र को यहां से टिकट देने से मना कर दिया गया। जिसके बाद यह लगने लगा था कि अब वरुणा सीट पर सिद्धारमैया की जीत आसान होने वाली है। लेकिन भाजपा ने वी सोमन्ना को चुनावी मैदान में उतार कर चौंका दिया।
बीजेपी ने किया लिंगायत समुदाय को साधने का प्रयास
वी. सोमन्ना ने शून्य से राज्य के शीर्ष नेताओं में अपनी पहचान बनाई है। वह अच्छे संगठनात्मक कौशल के अलावा जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के तौर पर भी जाने जाते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमन्ना ने पार्टी को सिद्धारमैया को उनके गृह क्षेत्र वरुणा से हराने का दावा किया है। बता दें कि सिद्धारमैया निर्वाचन क्षेत्र में एक कठिन मुकाबले का सामना करने जा रहे हैं। क्योंकि लिंगायत सबसे बड़े मतदाता समूह हैं। इस क्षेत्र में दशकों से लिंगायत समुदाय नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहा है। वहीं भाजपा द्वारा लिंगायत नेता सोमन्ना को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार कर वरुणा का मुकाबला दिलचस्प कर दिया है।
जानें क्या कहते हैं आंकड़े
वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में 2,23,007 वोटर हैं। जिनमें से लिंगायत वोटर 53,000, अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटर 48,000, नायक वोटर 23,000, कुरुबा वोटर 27,000, वोक्कालिगा वोटर 12,000 और 35,000 अन्य मतदाता हैं। हालांकि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया को एक निडर नेचा के तौर पर जाना जाता है। जो पीएम मोदी और RSS का भी मुकाबला कर सकते हैं। इसके अलावा सिद्धारमैया को उत्पीड़ित वर्गों और अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी यौजनाओं के लिए भी जाना जाता है।
2008 में अस्तित्व में आया वरुणा
परिसीमन प्रक्रिया के बाद साल 2008 में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र अपने अस्तित्व में आया। यहां पर इसी साल यानी कि 2008 में और फिर साल 2013 में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने अपना कब्जा जमाए रखा। इसके बाद साल 2018 में सिद्धारमैया के बेटे डॉ. यतींद्र सिद्धारमैया इस क्षेत्र से भारी बहुमत के साथ जीत हासिल है। हालांकि इस बार डॉ. यतींद्र ने अपने पिता के लिए यह सीट छोड़ दी है। सिद्धरमैया एक सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की तलाश में थे।
खतरे में सोमन्ना का राजनीतिक करियर
सिद्धारमैया ने वोक्कालिगा और लिंगायत आधिपत्य को भी सफलतापूर्वक चुनौती दी है। ऐसे में अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सिद्धारमैया की नजर सीएम के पद पर होगी। क्योंकि उन्होंने ऐलान किया है कि यह उनका यह आखिरी चुनाव है। इस कार्यकाल के बाद वह राजनीति से सन्यास लेना चाहेंगे। बेंगलुरु में गोविंदराज नगर निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर सोमन्ना ने आगामी विधानसभा चुनावों में अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगाने का काम किया है। क्योंकि इस बार सोमन्ना चामराजनगर और वरुणा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें वरुणा सीट पर हार का सामना करना पड़ता है तो उनका यह दांव उल्टा पड़ सकता है, जो उनके राजनीतिक करियर को भी खतरे में डाल सकता है।