By अभिनय आकाश | Jun 28, 2021
कोरोना महामारी की उम्र 1 साल से ज्यादा हो चुकी है। आपातकाल, बैन, लॉकडाउन आदि-इत्यादि झेलने के बाद दुनिया समाधान की तरफ बढ़ गई है। हर एक देश अपने नागरिकों के लिए सबसे बढ़िया वैक्सीन के इंतजाम में जुटा है। ऐसी वैक्सीन जो ना सिर्फ कारगर हो बल्कि लोगों को निश्चित करे और यह भरोसा दें कि- ऑल इज वेल। हम सब इस बात को जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है लेकिन लालच में कुछ लोग वैक्सीन पर धोखे का संक्रमण फैला रहे हैं। पहले मुंबई में फर्जी वैक्सीन की बात सामने आई अगला मामला कोलकाता से सामने आया है।
बंगाल में क्या हुआ?
नकली सरकारी अधिकारी बनकर ठगने के मामले तो कई बार सामने आते हैं। लेकिन यह मामला कुछ अलग है। कोलकाता पुलिस ने नकली आईएएस अफसर को पकड़ा है। इस शख्स ने कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का जॉइंट कमिश्नर बनकर कोरोना वायरस वैक्सीनेशन का नेटवर्क ही चला दिया था। नीली बत्ती लगी गाड़ी से चलता था, फर्जी आईकार्ड रखता था। इसके धोखे में टीएमसी सांसद और फिल्म अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती भी आ गईं। कोलकाता में पुलिस ने संदिग्ध कोविड टीकाकरण शिविर के संबंध में फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देव को गिरफ्तार कर लिया है, इसके साथ ही उसके तीन और सहयोगियों को 26 जून की सुबह गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आरोपी और मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए एसआईटी को भी गठित कर दिया गया है।
कौन हैं देबांजन देव?
खुद को फर्जी आईएएस अधिकारी बताने वाले देबांजन देव ने अपनी स्कूली शिक्षा सियालदह के ताकी हाउस और चारु चंद्र कॉलेज से प्राप्त की है। इसके साथ ही उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से जेनेटिक्स पर एक कोर्स शुरू किया लेकिन उसने अपना कोर्स बीच में ही छोड़ दिया। देबांजन ने विद्यासागर विश्वविद्यालय में एक दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम में प्रवेश लिया, लेकिन इसे भी बीच में ही छोड़ दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, देब ने दावा किया है कि वह संगीत एलबम बना रहे हैं। देबांजन कभी प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास नहीं कर पाया लेकिन उसने माता-पिता को बताया कि वह परीक्षा में सफल रहा है और 2017 में उसने राज्य सचिवालय में खुद की पोस्टिंग की बात घरवालों को बताई। कोरोना महामारी के दौर में उसने एक कमरा किराये पर लेकर सैनेटाइजर, मास्क, पीपीई किट दस्ताने खरीदने शुरू कर दिया और अपना करोबार चलाने की ठानी। इस काम में अच्छा मुनाफा कमाने के साथ ही उसने पुलिस थानों के अधिकारियों और अन्य प्रभावी लोगों से मेल-जोल बढ़ाना शुरू किया। वो खुद को नेताओं और अधिकारियों से सामाजिक कार्यकर्ता बताकर मिलता था।
टीएमसी नेताओं संग कनेक्शन!
कोलकाता में फर्जी वैक्सीनेशन कैंप चलाने वाले देबांजन देव का ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं संग कनेक्शन की बात सामने आ रही है। फर्जी आईएएस अफसर बनकर लोगों को फेक वैक्सीन लगाने वाले इस शख्य की तृणमूल के बड़े नेताओं के साथ तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने हमले तेज कर दिए हैं। देबांजन देव नामक इस शख्स ने अपने ट्विटर अकाउंट पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं संग अपनी तस्वीर पोस्ट की है जिसमें ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रता मुखर्जी और कई और बड़े नाम शामिल हैं।
मिमी चक्रवती की बिगड़ी तबीयत
कोलकाता के कस्बा इलाके में खुद को आईएएस अफसर बताने वाले शख्स ने सब को फर्जी वैक्सीन लगा दी। बड़ी बात यह है कि टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी यह वैक्सीन लगवा ली। शिविर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी टीके की खुराक ली थी।चक्रवर्ती को टीकाकरण की प्रक्रिया पर उस समय शक हुआ जब उन्हें एसएमएस नहीं आया, जो आम तौर पर टीके की खुराक लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर आता है। इसके बाद चक्रवर्ती ने इसकी शिकायत पुलिस में की। फर्जी वैक्सीन लगवाने के बाद टीएमसी सांसद बीमार हो गई। हालांकि यादवपुर की सांसद का उपचार करने वाले डॉक्टर ने कहा कि उनकी अस्वस्थता को कुछ दिन पहले लिए गए फर्जी टीका से जोड़ना अभी जल्दबाजी होगी। मिमी चक्रवतर्ती के करीबी सूत्रों ने बताया कि चक्रवर्ती अपने आवास पर गंभीर रूप से बीमार हो गयीं और उनके घरेलू सहायक ने डॉक्टर को इसकी सूचना दी। पित्ताशय और यकृत संबंधी समस्याओं का सामना कर रहीं चक्रवर्ती के शरीर में पानी की कमी हो गयी और पेट में दर्द हो रहा था और रक्त चाप भी गिर गया। हालांकि बताया जा रहा है कि मिमी चक्रवर्ती की हालत अब स्थिर है और घर पर ही उनका उपचार चल रहा है। वह हाइपरटेंशन का भी सामना कर रही हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने लिखी स्वास्थ्य विभाग को चिट्ठी
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने फर्जी टीकाकरण शिविर मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की मांग करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को लिखे पत्र में शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि फर्जी टीकाकरण शिविर का आयोजन करने के मामले का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, उसके सत्तारूढ़ दल में खासा प्रभाव है। अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी देबांजन देव ने कसबा, एमहर्स्ट स्ट्रीट और सोनारपुर इलाके में स्थानीय प्रशासन, पुलिस और निकाय अधिकारियों की देखरेख में अवैध टीकाकरण शिविर का आयोजन किया। अधिकारी ने पत्र में कहा, इन शिविरों में सैकड़ों लोगों को टीके लगाए गए हैं। कसबा में लाभार्थियों से आधार कार्ड की प्रति ली गई लेकिन उन्हें टीकाकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन लोगों को वाकई कोविशील्ड की खुराक दी गई, जैसा कि आरोपी ने दावा किया है? अगर ऐसा है तो यह सरकारी भंडार से कोविड टीके की सेंधमारी को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करता है और ऐसा बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। अगर ये कोविड के टीके नहीं थे तो इसकी तत्काल जांच किए जाने की आवश्यकता है। भाजपा नेता ने कहा, पश्चिम बंगाल में कोविड टीकाकरण की विश्वसनीयता बहाली के लिए इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की मांग की जिस पर राज्य की सतारूढ़ सरकार का कोई दबाव नहीं हो।
हर खेमे का अलग-अलग मानना है
कोलकाता पुलिस का कहना है कि इसके साथ वैक्सीन स्कैम को ना जोड़ें यह एक फ्रॉड की कहानी है जिसने फर्जी वैक्सीन की 3 कैंप लगाई और उसमें उन्होंने वैक्सीन के नाम पर जो डाला वह एंटीबायोटिक है। नगर निगम का कहना है कि कोलकाता में कितने सारे लोग इस तरह के फर्जी दस्तावेज, आईडी कार्ड, नकली लाल बत्ती लेकर घूम रहे होंगे, यह कोलकाता नगर निगम का काम नहीं है। अगर कोई ऐसा केस सामने आता है तो जिसको यह फर्जी वैक्सीन दिया गया है उनकी स्वास्थ्य की हालत कैसी है यह जांच पड़ताल करना कोलकाता नगर निगम का काम है। इस तरह से हर एक खेमे से इसके अलग-अलग जवाब है। हर कोई अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहा है। कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा ने कहा कि आईएएस अधिकारी होने का दावा कर रहे एक व्यक्ति द्वारा फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन करना एक विकृत मस्तिष्क का कार्य है। 28 वर्षीय देबंजन देव पर आरोप है कि उसने कई फर्जी टीकाकरण शिविरों का आयोजन किया, जहां करीब दो हजार लोगों को कोविड-19 टीके की खुराक दी गयी। कोलकाता पुलिस का कहना है कि देबंजन ने जो किया, वह बेहद अमानवीय था। ऐसा कार्य कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
बहरहाल, वैक्सीन के बनने की एक तय प्रक्रिया होती है ये हम सब जानते हैं। उसमें समय लगता है और अंतिम व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचने में महीनों लग सकते हैं। ऐसे में आती हैं अधीरता, अपनी बारी का इंतजार करते लोग इंतजार करते हैं और शॉर्टकट तलाशना शुरू कर देते हैं। यहां पर सरकार की जिम्मेदारी आती है-
जहां भी इनमें से किसी पर भी ताला लगा, भरोसा बिगड़ा और धोखेबाजों की चांदी हो गई।- अभिनय आकाश