Prabhasakshi NewsRoom: CM Race में शुरू से आगे चल रहे Siddaramaiah ने इस तरह जीत ली अपनी आखिरी बाजी

By नीरज कुमार दुबे | May 18, 2023

कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने के लिए लंबी मंत्रणा के बाद आखिरकार सिद्धारमैया के नाम पर सहमति बन गई है। कांग्रेस आलाकमान ने तय किया है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे तथा डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। बताया जा रहा है कि डीके शिवकुमार ने भारी मन से पार्टी का यह निर्णय स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा है कि वह कर्नाटक की भलाई चाहते हैं और पार्टी का फैसला उन्हें मंजूर है। बताया जा रहा है कि फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री के साथ ही कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बने रहेंगे। यह भी बताया जा रहा है कि डीके शिवकुमार के अलावा दूसरा कोई उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया जायेगा। अक्सर कर्नाटक में देखने में आता है कि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के नाम पर दो-तीन उपमुख्यमंत्री बना दिये जाते हैं। इस बार भी विभिन्न वर्ग कांग्रेस से अपने समुदाय के व्यक्ति को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। इस बीच उनके भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि मैं पूरी तरह से खुश हूं। मगर कर्नाटक के हित के लिए पार्टी, डीके शिवकुमार और सभी कार्यकर्ताओं को ये निर्णय स्वीकार करना होगा।


शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी


इस बीच, बताया जा रहा है कि कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्षी नेताओं को भी आमंत्रित करेंगे। गांधी परिवार के सदस्यों के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बेंगलुरु में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। सूत्रों ने यह जानकारी भी दी है कि 20 मई को दोपहर 12:30 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा। बताया जा रहा है कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को शपथ दिलाई जायेगी। मंत्रिमंडल विस्तार बाद में सभी से विचार-विमर्श के बाद होगा। इस बीच, बेंगलुरु में आज शाम कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है जिसमें नेतृत्व के नाम को लेकर आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। बेंगलुरु से प्राप्त खबरों के मुताबिक, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख ने सभी विधायकों को पत्र लिखकर आज शाम सात बजे क्वीन्स रोड स्थित इंदिरा गांधी भवन में होने वाली बैठक में शामिल होने को कहा है। बैठक में विधान परिषद सदस्यों और सांसदों को भी बुलाया गया है।

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सिद्धारमैया ने कैसे जीती लड़ाई?


हम आपको बता दें कि भले शुरू से मुकाबला सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच था लेकिन सिद्धारमैया के पक्ष में कुछ बातें शुरू से ही जा रही थी। उनके नाम का चयन कांग्रेस आलाकमान को इसलिए करना पड़ा क्योंकि सिद्धारमैया का राज्य भर में व्यापक प्रभाव है और कांग्रेस विधायकों के एक बड़े वर्ग के बीच भी वह लोकप्रिय हैं। उनके पास मुख्यमंत्री के रूप में सरकार चलाने का अनुभव तो है ही साथ ही वह कर्नाटक में 13 बजट प्रस्तुत कर चुके हैं और अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड़ में संक्षिप्त नाम यानि अहिंदा वर्ग पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। वह भाजपा और जनता दल सेक्युलर को प्रभावी तरीके से आड़े हाथ भी लेते हैं और राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। जबकि शिवकुमार के पास प्रशासनिक अनुभव की कमी होने के साथ ही पूरे कर्नाटक में उनकी अपील भी नहीं है और उनका प्रभाव सिर्फ पुराने मैसुरू क्षेत्र तक सीमित है। वह तिहाड़ जेल में भी रह चुके हैं और अब भी उनके खिलाफ आईटी, ईडी और सीबीआई के कई मामले है। इसके अलावा सिद्धारमैया बार-बार यह कह चुके थे यह उनके जीवन का आखिरी चुनाव है इसलिए उन्हें कर्नाटक की जनता की सेवा का अंतिम मौका दिया जाना चाहिए।


कांग्रेस आलाकमान ने किया गहरा मंथन


इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने बताया है कि पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने बुधवार देर रात संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कर्नाटक के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला से लंबी बातचीत की और फिर सिद्धारमैया तथा शिवकुमार से अलग-अलग बातचीत कर उन्हें इस फार्मूले पर राजी कर लिया गया। गौरतलब है कि कर्नाटक में पार्टी विधायक दल का नेता चुनने के लिए पिछले 3 दिन से कांग्रेस में मंथन का दौर जारी था। कांग्रेस विधायक दल की गत रविवार शाम बेंगलुरु के एक निजी होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष खरगे को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार दिया गया था। हम आपको यह भी याद दिला दें कि कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीटें अपने नाम कीं, जबकि सत्तारुढ़ भाजपा ने 66 और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) ने 19 सीटें जीतीं थीं।

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