By अंकित सिंह | Dec 05, 2024
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम शौर्यपथ में इस सप्ताह भी हमने रूस-यूक्रेन जंग, इसरायल और लेबनान के बीच तनाव, भारतीय नेवी की मजबूती और सीरिया में छिड़े गृह युद्ध पर बातचीत की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में हमारे खास मेहमान ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) मौजूद रहे।
- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी सर ने कहा कि यह बात सही है कि व्लादिमीर पुतिन जबरदस्त तरीके से एग्रेसिव हैं। वह लगातार यूरोप को भी धमकी दे रहे हैं। हालांकि, ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने यह बात जरूर कही कि पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप एक दूसरे से संपर्क में है। इसलिए इस युद्ध में आगे क्या होगा, इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन सभी को 20 जनवरी का इंतजार है। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन-रूस के दिन क्षेत्र को कब्जा कर लिया है, उसे पुतिन खाली कराने की कोशिश कर रहे हैं। इससे यूक्रेन को नुकसान भी हो रहा है। यूक्रेन के आर्मी कुछ फ्यूचर नहीं देख पा रहे हैं इसलिए वह वापस लौटने पर मजबूर है। लेकिन रूस अपनी कैपेसिटी को दोगुना कर चुका है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यूक्रेन को जिस तरीके से अमेरिका से मदद मिलनी चाहिए, वह भी पूरी तरीके से होल्ड पर दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर देखे तो ड्रोन और मिसाइल अटैक रूस ने अभी भी जारी रखा है। रूस को भी पता है कि जो करना है 20 जनवरी तक कर लो। 20 के बाद कुछ भी हो सकता है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही इस युद्ध को लेकर कह चुके हैं कि वह इसे खत्म करेंगे। ट्रंप की टीम इस पर लगातार काम कर रही है।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नेवी का इतिहास बुलंद है। भारतीय नेवी अपना काम मजबूती के साथ करती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें ब्लू वाटर नेवी बनना पड़ेगा ताकि हम विश्व में डोमिनेट कर सके। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इंडो-पेसिफिक रीजन में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, इससे भारतीय नेवी की भूमिका काफी अहम हो जाती है। हमें अपने एरिया आफ इंटरेस्ट पर डोमिनेट करना होगा। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि पाकिस्तान और चीन की जुगलबंदी भारत के लिए चुनौती जरूर है। चीन हमसे मजबूत है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम उसकी बराबरी नहीं कर सकते। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने इसके साथ यह भी कहा कि यह बात सही है कि हमारी सबमरीन थोड़ी पुरानी है। इसी वजह से यह कांट्रेक्ट किया जा रहे हैं। नए जहाज भारतीय नेवी में शामिल हो रहे हैं जिससे हमारी नेवी मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि चीन इस क्षेत्र में मजबूत है और उसकी मदद से अगर पाकिस्तान मजबूत हुआ तो हमें दोतरफा चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए हमें पहले से ही अपनी तैयारी को मजबूत रखने की जरूरत है।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अमेरिका और फ्रांस ने मिलकर यह समझौता कराया था। कुछ जगहों को खाली करने की भी बात हुई थी। साथ ही साथ हिजबुल्ला को पीछे हटने पर भी रजामंदी हुई थी। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि लेबनान में आर्मी को मजबूत किया जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। अभी भी लेबनान में सब कुछ हिजबुल्ला के हाथों में ही है। हिजबुल्ला लेबनान को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है। समझौते के बाद भी है हिजबुल्ला की ओर से ही मोर्टार दागे गए। इसके बाद इसरायल ने पलटवार किया है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने यह बात भी कहा कि इसरायल समझौते के लिए तैयार था। लेकिन बेंजामिन नेतन्याहू यह साफ कर चुके थे कि अगर हम पर कुछ होता है तो हम पलटवार करेंगे। आज हमें वही देखने को मिल रहा है। दूसरी ओर गाजा में अटैक जारी है। हमास हथियार डालने को तैयार नहीं है। बंधकों पर सारा मुद्दा जाकर फंस गया है। आरोप प्रत्यारोप भी हो रही है। दूसरी ओर ट्रंप की ओर से भी धमकी दी जा रही है कि 20 जनवरी से पहले बंधकों को हमास छोड़ें वरना उसे अंजाम भुगतना होगा।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि मिडिल ईस्ट लगातार अशांत दिखाई दे रहा है। मिडिल ईस्ट के देश अपने लिए कुछ खुद नहीं कर पा रहे हैं। वे लगातार डिपेंडेंट होते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीरिया में अभी जो प्रेसिडेंट है, उनके खिलाफ विद्रोह लगातार जारी है। अपनी ताजपोशी के बाद से उन्होंने तानाशाह की तरह सीरिया में काम किया है। वह लगातार अमेरिका से दूर होते गए और रूस के करीब होते रहे। उन्होंने अपने खिलाफ विरोध को दबाने के लिए मिलट्री एक्शन भी लिया जिसकी वजह से देश में सिविल वॉर शुरू हो गया। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने बताया कि उनके खिलाफ कई बड़े आरोप भी लगे। हालांकि रूस और ईरान का समर्थन लगातार मिलता रहा। जैसे से उनकी स्थिति कमजोर हुई। हालांकि 2016 में इन्होंने खुद को मजबूत किया। लेकिन सिविल वार लगातार चलता रहा। विद्रोहियों को अमेरिका का सपोर्ट मिला। विद्रोहियों ने देश के 30% भूमि पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि रूस को उलझाए रखने के लिए अमेरिका की रणनीति भी हो सकती है।