विकासजी के राज्य में यूं तो पूरा साल योजनाएं बनती रहती हैं लेकिन बरसात का मौसम विकास का खालिस मौसम होता है। इसमें कम हींग और कम फटकरी में रंग चोखा चढ़ जाता है। नए ठेकेदार बने छुटभैये नेता पूरे उत्साह से टेंडर भरते है और प्रशासन संग गलबहियां डालकर विकासजी का स्वागत करते हैं। उनके कार्यकर्ता सड़कों पर पड़े गड्ढों को ढूंढते हैं, उन्हें खींच कर लम्बा चौड़ा और गहरा करते हैं ताकि शहर की सडकों की मरम्मत अच्छी तरह से की जाए।
बरसों से मरम्मत मांग रही गलियों का नंबर भी आ जाता है यदि पार्षद वर्तमान शासक पार्टी में मिल गया हो और अपनी जाति के अधिकांश वोटरों को पटाकर रख सके। जीत गए फिर चाहे टूटी गली कुछ बैग सीमेंट और रेत को तरसती रहे। यह खासी बुद्धिमानी का काम है कि बारिश आने से ठीक पहले, पहले से बने एस्टीमेट के अनुसार मरम्मत न करवाई जाए ताकि समझदार बारिश उस ताज़ा मैटिरियल को पानी में बहा दे और तत्काल मरम्मत का नया एस्टीमेट खड़ा किया जा सके। उच्च कोटि कंक्रीट से रास्ता ठीक करने के बाद यदि चार दिन के बाद ही सड़क उखड़नी शुरू हो जाए, तो पूर्व पार्षद आरोप लगाकर कहने लगते हैं कि सामग्री घटिया के कारण ठेकेदार का भुगतान रोक दें। दुखी होकर बजरी, रेत, तारकोल और सीमेंट भी ठेकेदार की शिकायत करना चाहते हैं, वे बताना चाहते हैं की उनको सस्ते में खरीदा जाता है और बिल मोटे बनाए जाते हैं। विपक्षी पार्टी से जुड़ा संयुक्त प्रतिनिधि मंडल अधिकारी को ज्ञापन सौंप देता है कि सड़क बनने के चार दिन में उखड़ गई क्यूंकि मजदूरों ने न तो गटका डाला न कुटाई की बलिक मिटटी डालकर सड़क पक्की कर दी, न रेत डाला न सीमेंट।
उन्होंने सरकार से कहा कि ठेकेदार को, सड़क को उखाड़कर फिर से सही ढंग से बनाने के आदेश दिए जाएं। कमेटी के कार्यकारी अधिकारी ने कहा आप चिंता न करें आपका ज्ञापन मिल गया है। हमें पता नहीं था कि यह ठेकेदार भी ऐसा निकलेगा, उससे बात कर सड़क दरुस्त करवा दी जाएगी। प्रतिनिधि मंडल और कुछ कर भी नहीं सकता था उनको तो पानी पीने के लिए भी नहीं पूछा गया, बाहर आकर पड़ोस की दुकान में चाय पीने लगा ।
इस दौरान एस्टीमेट पकाने की स्पीड बढ़ जाती है, इस काम में वार्ड के मेहनती पार्षद बहुत मेहनत करते हैं और ध्यान रखते हैं कि किस किस वोटर ने घर का कौन कौन सा कोना या नाली ठीक करवाने को कह रखा है। कमेटी के अफसर फटाफट साइट का दौरा करते हैं, जनता की सेवा उनका परम धर्म हो जाता है। उन्होंने एक बार फिर से गली ठीक करवानी शुरू कर दी लेकिन बरसात के मौसम के कारण अगले दिन तेज़ बारिश में मरम्मत पूरी तरह बह गई। कनिष्ठ इंजीनियर ने मौके का फिर सघन दौरा किया, नए ठेकेदार से एस्टीमेट लिया गया और बरसात में बह गई सड़क का दोष प्राकृतिक आपदा के नाम मढ़कर फिर से बढ़िया मरम्मत करवाने की ख़बरें सभी अखबारों में छपवा दी गई।
- संतोष उत्सुक