Prabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War ने Zelenskyy के अलावा Putin को भी दूसरों के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया है

By नीरज कुमार दुबे | Sep 02, 2023

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि युद्ध में इस समय रूस कुछ फँसा हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि मास्को तक लगातार ड्रोन पहुँच रहे हैं। उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि मास्को में रूसी एअर बेस तक ड्रोन का पहुँचना बड़ी कामयाबी है। उन्होंने कहा कि यदि यूक्रेन का यह कहना सही है कि मास्को तक ड्रोन रूस के भीतर से ही पहुँचे हैं तो यह रूस के लिए सोचने की बात है कि देश के अंदर ही कौन-से दुश्मन बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह रूसी राष्ट्रपति को हथियार जुटाने के लिए कभी चीन, कभी ईरान और अब उत्तर कोरिया की मदद लेनी पड़ रही है वह दर्शाता है कि रूस की शक्ति का दम निकल चुका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने खुलासा किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को एक पत्र भेजा है क्योंकि रूस यूक्रेन युद्ध के लिए उत्तर कोरिया से युद्ध सामग्री चाहता है।?


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि अमेरिका और पश्चिमी देश उत्तर कोरिया को धमका रहे हैं कि वह रूस को किसी भी प्रकार की युद्ध सामग्री नहीं दे लेकिन फिर भी किम जोंग उन का जो स्वभाव है उसको देखते हुए वह पश्चिम की बात मानेंगे नहीं और रूस को सप्लाई अवश्य करेंगे। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो युद्ध सामग्री और पैसों के लिए सिर्फ यूक्रेन के राष्ट्रपति ही दूसरे देशों के आगे हाथ नहीं फैला रहे बल्कि रूस के राष्ट्रपति को भी ऐसा करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को जिस तरह एफ-16 और अन्य घातक हथियार नाटो देशों से मिलते जा रहे हैं उससे उसका हौसला बढ़ा हुआ है और वह पीछे हटने को तैयार नहीं है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन के मारे जाने से रूस के लिए लड़ रहे किराये के लड़ाकों का भी मनोबल कमजोर हुआ है। उनमें ऐसी भावना आ रही है कि रूस काम निकल जाने के बाद ऐसा हश्र करता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रिगोझिन की मौत के पीछे रूस का हाथ साबित हो जाता है तो पुतिन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि रूसी सेना में भी वैगनर समूह के शुभचिंतक बैठे हुए हैं।

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