By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 04, 2023
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सूरत सिंह खालसा को शनिवार को शहर के एक निजी अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। खालसा ने सिख कैदियों की रिहाई के लिए अपनी भूख हड़ताल कुछ सप्ताह पहले समाप्त की थी जो उन्होंने 2015 में शुरू की थी। खालसा 89 वर्ष के हैं और उन्हें 2016 में हड़ताल के दौरान तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से, वह तरल आहार पर थे, जिसे नाक से नली के माध्यम से दिया जाता था क्योंकि उन्होंने कुछ भी खाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने जनवरी में अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था।
शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सहित पंजाब में कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी सिख कैदियों की रिहाई की मांग की है, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे अपनी सजा पूरी करने के बावजूद विभिन्न जेलों में बंद हैं। दोषियों में से अधिकतर आतंकवाद से संबंधित और अन्य मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं और ये संगठन मांग कर रहे हैं कि उनकी सजा की अवधि कम की जाए।
लुधियाना के पुलिस आयुक्त मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा, ‘‘सूरत सिंह खालसा को कभी गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया। उन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें आज छुट्टी दे दी गई। उनकी हालत स्थिर है।’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें लंबी यात्रा और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की सलाह दी है। अधिकार कार्यकर्ता को पहली बार स्वास्थ्य खराब होने के कारण अक्टूबर 2015 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।
उन्हें जून 2016 में फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया और उन्होंने वहीं से अपनी हड़ताल जारी रखी। खालसा को छुट्टी मिलने के बाद, पुलिस वाहनों के काफिले के साथ एक एम्बुलेंस उन्हें लुधियाना में उसके पैतृक गांव हसनपुर ले गई। यूनाइटेड अकाली दल के अध्यक्ष गुरदीप सिंह बठिंडा और कुछ अन्य लोग काफिले के साथ थे। पत्रकारों को अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया गया।