बारिश के पानी में कागज़ की कश्ती (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Sep 02, 2020

बरसात में भी बारिश न होने पर समझदारों दवारा किए गए हवन के धुंए से कुपित इंद्रदेव ने इतना पानी सप्लाई कर दिया कि शहर के बाज़ारों में तीन फुट पानी खड़ा हो गया। दुकानदारों ने म्युनिसिपल कमेटी में फोन किया तो सूचना मिली कि काफी कर्मचारी क्वारंटीन हैं और बाकी वार्षिक वृक्षारोपण में अति व्यस्त हैं। पालिका अध्यक्ष को फोन किया, उन्होंने सुना नहीं। पार्षद राजा को किया तो झट से काट दिया, लगा दुखी वोटरों की प्रार्थनाओं के कारण क्वारंटीन हैं। काफी देर बाद, बड़ी मुश्किल से चार बंदे, अध्यक्ष महाराज के दरबार में हाज़िर हुए, शुक्र है जनाब विराजमान रहे। महंगा सुरक्षा मास्क गले में लटकाए हुए बोले, मैं वन मंत्रीजी को पौधे पकड़ा रहा था, कुछ भी हो जाए हम सबने मिलकर हरा भरा पर्यावरण बढ़ाना ही है, आप लोगों की क्या सेवा करूं।

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आम लोगों ने ख़ास बंदे से गुजारिश की, जनाब आप खुद चलकर देखें, बारिश के दो दिन बाद भी बाज़ार में इस समय डेढ फुट पानी खड़ा है। ग्राहक गायब, बिजनेस ठप्प, लोग हाथ में जूते उठाकर चल रहे हैं। घरों के बाहर भी पानी पसरा है। अध्यक्ष बोले सकारात्मक सोचो मित्रो, कितना आशीर्वाद दिया इंद्रदेवजी ने, आपके घर के बाहर पानी आया है। आपके घर में अगर सब स्वस्थ हैं, तो बच्चों को बोलो कागज की कश्तियाँ बना कर पानी में तैराएं। इस मौके पर आपको भी अपना बचपन याद आ जाएगा। जनता बोली, यह संजीदा मामला है अध्यक्षजी जब भी बारिश होती है पानी ऐसे ही रुकता है। चार साल पहले नगरपालिका ने सीमेंट का फर्श डलवाया था तब से हर साल बरसात के मौसम में पानी दुकानों में घुस जाता है। अध्यक्ष ने स्पष्ट घोषणा की, जब फर्श डाला गया था तब दूसरी पार्टी की सरकार थी और हम भी अध्यक्ष न थे। घबराएं नहीं, हमने इस समस्या को गर्दन से पकड़ लिया है, गहन विचार जारी है, पानी की ज्यादा बेहतर निकासी के लिए ठोस योजना बनाई जा रही है। फिलहाल नालियां साफ करने का आदेश दे दिया है। दुकानदारों ने कहा पांच साल से ऐसा ही हो रहा है।

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पुरानी बातें भूल जानी चाहिए, अध्यक्ष बोले, हम समय निकाल कर देखेंगे कि पहले क्या क्या गलत हो चुका है। आपको यह जानकर खुशी होगी, कामकाज दोबारा शुरू हो चुका है और हमने इस मामले को राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के अंतर्गत ले लिया है। हम क्षेत्र की साफ सफाई के बारे में बहुत संजीदा ढंग से बैठकें करने जा रहे हैं जिसमें गहन विचार विमर्श कर संकल्प लिया जाएगा। आपको पता ही है अच्छे काम को बढ़िया तरीके से करने में वक़्त तो लगता ही है। यह तो नीली छतरी वाले की ग़लती के कारण बारिश ज़्यादा हो गई, नहीं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होती, प्राकृतिक आपदा के सामने हम सब मज़बूर हो जाते हैं। हमने मेहनत कर महामारी पर भी काबू पा ही लिया है लेकिन फिर भी आप ध्यान रखें। 


दुकानदारों ने वापिस घर पहुंच कर देखा तो बच्चे बारिश के पानी में कागज़ की कश्ती से सचमुच खेल रहे थे, बोले, देखो पापा, आप भी बचपन में ऐसा ही करते थे न?


- संतोष उत्सुक

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