By अनन्या मिश्रा | Apr 18, 2023
रामनगर जिले के सिल्क जिले की सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पार्टियां तैयार हैं। इस विशाल जिले में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस के बीच मेगा मुकाबला होने जा रहा है। बता दें कि यह विधानसभा क्षेत्र एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जिसने राज्य की राजनीति में काफी गहरी रुचि जगाई है। रामनगर जिले को 23 अगस्त 2007 को तत्कालीन बेंगलुरु ग्रामीण जिले से अलग कर बनाया गया था। इस जिले ने राज्य को अब तक 4 सीएम दिए हैं। इस लिहाज से इस सीट की अहमियत अधिक बढ़ जाती है।
निखिल कुमारस्वामी बढ़ाएंगे परिवार की सियासत
रामनगर विधानसभा सीट से जेडीएस प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते निखिल कुमारस्वामी चुनावी मैदान में है। बता दें कि निखिल अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं। जो राजनीति में सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एसडी कुमारस्वामी के बेटे को जेडीएस ने रामनगर सीट से उतारा है। हाल-फिलहाल पूर्व सीएम कुमारस्वामी की पत्नी मौजूदा विधायक हैं। जेडीएस का किला कही जाने वाली इस सीट से इस बार निखिल कुमारस्वामी अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।
कांग्रेस भी देगी कड़ी टक्कर
वहीं कांग्रेस से अल्पसंख्यक नेता इकबाल हुसैन रामनगर में मैदान में उतरेंगे। वह पिछले तीन महीनों से पूरे निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार प्रसार कर रहे हैं। इकबाल हुसैन डीके ब्रदर्स के समर्थन से इस निर्वाचन क्षेत्र में एक बड़े उम्मीदवार हैं। साथ ही वह निखिल कुमारस्वामी के साथ मेगा मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
BJP के गौतम गौड़ा को मिला मौका
रामनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के गौतम गौड़ा को मौका मिला है। गौतम गौड़ा कर्नाटक रेशम उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष हैं। वह भी यहां से जीतने के लिए पुरजोर प्रयास में लगे हुए हैं। गौतम गौड़ा के पिता मारिलिंगे गौड़ा पहले जेडीएस से विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने गए थे। वहीं भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने बेटे गौतम गौड़ा के लिए टिकट मांगा था।
जाति समीकरण
रामनगर निर्वाचन क्षेत्र में 2,06,999 मतदाता हैं। यहां पर हिंदू वोटरों की संख्या 51.04% है। वहीं मुस्लिम वोटरों की संख्या 47.65% है। यहां पर वोक्कालिगा वोट बैंक का दबदबा है। साथ ही वोक्कालिगा समुदाय जेडीएस के साथ मजबूती से खड़ा होता है। देवेगौड़ा परिवार का मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े हिस्से ने भी परंपरागत रूप से समर्थन किया है। जिसके चलते इस सीट पर देवगौड़ा परिवार का लंबे समय तक दबदबा रहा है।