वैसे तो महावीर जयंती जैनियों का प्रमुख त्यौहार है लेकिन पूरे भारत में यह हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस साल महावीर जयंती 29 मार्च 2018 को है। तो आइए भगवान महावीर से जुड़े विचारों पर चर्चा करते हैं।
इतिहास के आयने में महावीर जयंती
भगवान महावीर जैनियों के 24 वें और अंतिम तीर्थांकर थे। उनके जन्म के उपलक्ष्य में ही यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में तेरहवें दिन बिहार के कुण्डलग्राम में हुआ था।
भगवान महावीर का जीवन
भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्दधमान था। उनकी माता त्रिशला और पिता राजा सिद्धार्थ थे। 30 वर्ष की अवस्था में उन्होंने घर त्याग दिया और तपस्या में लीन हो गए। 12 साल तपस्या करने के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इन्होंने अपने ज्ञान से जैन दर्शन को समृद्ध किया। इनके उपदेशों में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का खास स्थान था। उन्हें 72 वर्ष की अवस्था में निर्वाण प्राप्त हुआ।
उत्सव के कार्यक्रम
जैन धर्म के समर्थकों के बीच महावीर जयंती महावीर जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है। हर साल महावीर जयंती ग्रिगेरियन कैलेंडर के हिसाब से मार्च या अप्रैल में पड़ती है। इस दिन जैन मंदिरों में बहुत उत्साह से यह जयंती मनायी जाती है। जैन मंदिरों को फूलों और झंडों से सजाया जाता है। साथ ही जैन समुदाय द्वारा गरीबों में भोजन और वस्त्र भी वितरित किए जाते हैं। देश के कुछ हिस्सों जैसे गिरनार, पालीताना, राजस्थान, गुजरात, बिहार, कोलकाता, पावापुरी और पारसनाथ मंदिर में इस दिन बड़ा आयोजन किया जाता है। साथ ही कुछ विद्वान लोग आम जनता तक जैन धर्म के सिद्धांतों को पहुंचाने के लिए जैन मंदिरों में उपदेश भी देते हैं। उत्सव में अन्य कई प्रकार के कार्यक्रम भी होते हैं।
महावीर जयंती के दिन शोभायात्रा भी निकाली जाती है। महावीर जयंती के दिन होने वाले कार्यक्रमों में यह सबसे खास है। इस शोभायात्रा के दौरान जैन भिक्षु महावीर की प्रतिमा को एक रथ पर लेकर घूमते हैं। यह शोभायात्रा गलियों, सड़कों और चौराहों से होकर गुजरती है। इसमें बहुत से जैन भिक्षु शामिल होते हैं। साथ ही जैन धर्म के समर्थक भी श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करते हैं और भजन गाते हैं।
दान का सभी धर्मों में विशेष महत्व है। जैन धर्म दान को खास जगह दी गयी है। महावीर जयंती के दिन लोग गरीबों को दान करते हैं। जैन भिक्षु इस दिन केवल जरूरत की चीजें अपने पास रखकर बाकी सभी सामान गरीबों को दान में दे देते हैं।
इसके अलावा महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर की प्रतिमा को जल तथा दूसरे सुगंधित तेल से स्नान कराया जाता है। यह स्नान जैन धर्म में पवित्रता का परिचायक है। साथ ही साफ-सफाई के व्यावहारिक पहलू को भी दिखाता है।
महावीर जयंती के गतिविधियों में जैन मंदिरों का भ्रमण भी विशेष महत्व है। इस दिन दुनिया भर के भारत के जैन मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं। केवल मंदिर ही नहीं जैन धर्म से जुड़े पुरातन स्थल पर भी घूम कर लोग भगवान महावीर के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाते हैं। दिलवाड़ा, गोमतेश्वर, सोनागिरी, शिखरजी और रणकपुर कुछ खास स्थल हैं जहां महावीर जयंती के दिन भीड़ देखी जाती है।
प्रज्ञा पाण्डेय