Taliban छोड़िए बलूचों के हमले से Pakistan को लगा डर, लग गया ग्वादर एयरपोर्ट पर ताला!

By अभिनय आकाश | Dec 31, 2024

जिस देश का घर जल रहा हो वो भला दूसरे के घरों को कैसे रौशनी दे सकता है। पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति इसी कहावत को चरितार्थ करती नजर आती है। एक तरफ बलूचिस्तान की जनता आजादी और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही तो दूसरी तरफ पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि बचाने की कोशिशें नाकाम हो रही हैं। पाकिस्तान इन दिनों अपने राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और आतंरिक विद्रोह से पूरी तरह से घिर चुका है। बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे हैं। सीपैक प्रोजेक्ट फंसते जा रहे हैं। ग्वादर इंटरनेशन एयरपोर्ट का उद्घाटन सुरक्षा कारणों की वजह से टलता जा रहा है। ग्वादर इंटरनेशन एयरपोर्ट पूरी तरह चीन द्वारा वित्त पोषित है और ये सीपैक प्रोजेक्ट का हिस्सा है। ये एयरपोर्ट 50 मिलियन की लागत से तैयार किया गया है। लेकिन इसका उद्घाटन तीन बार स्थगित किया जा चुका है। अब खबर है कि पाकिस्तान सरकार ने 1 जनवरी 2025 को होने वाले उद्घाटन को फिर से टाल दिया है। दरअसल, पाकिस्तान इन दिनों अपनी राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और आंतरिक विद्रोह से पूरी तरह से घिर चुका है। बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे हैं। सीपैक प्रोजेक्ट फंसते जा रहे हैं। ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन सुरक्षा खतरों के कारण टलता जा रहा है। ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो पूरी तरह चीन द्वारा वित्त पोषित है। सीपैक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये एयरपोर्ट 50 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार किया गया है, लेकिन इसका उद्घाटन तीन बार स्थगित किया जा चुका है। 

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ताजा खबर है कि पाकिस्तान सरकार ने 1 जनवरी 2025 को होने वाले उद्घाटन को फिर से टाल दिया है। दरअसल, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए जैसे अलगाववादी संगठन लगातार इस एयरपोर्ट और अन्य सीपैक प्रोजेक्ट पर हमले कर रहे हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का मानना है कि ये प्रोजेक्ट बलूच जनता के संसाधनों का शोषण कर रहे हैं और इसका फायदा केवल चीन और पाकिस्तान को हो रहा है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है जो देश के कुल क्षेत्रफल का 45 प्रतिशत है। यहां प्रचूर मात्रा में गैस, तेल, कोयला, तांबा और सोना जैसे प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं। इन ब के बावजूद ये पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा इलाका है। बलूचिस्तान की जनता लंबे समय से अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की मांग कर रही है। 

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ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन इस संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं और चीन के सभी प्रोजेक्ट को निशाना बना रहे हैं। साल 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र किया था। ये पहली बार था जब पीएम ने खुलकर बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरा था। आज भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर कर रहा। बलूच अलगाववादी नेता और प्रवासी भारत के समर्थन के लिए प्रयासरत हैं। जहां तक बात सीपैक यानी चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर की है तो ये चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई का हिस्सा है। पाकिस्तान की अस्थिरता ने चीन के इनवेस्टमेंट को खतरे में डाल दिया। पिछले कुछ सालों में करीब 60 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं।  

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