By अभिनय आकाश | Dec 14, 2022
विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं, जानें संजय गांधी से जुड़े अनसुने किस्से इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की शख्सियत को हर किसी ने अपनी तरह से परिभाषित किया। किसी ने उन्हें तानाशाह की उपाधि दी तो किसी ने आपातकाल के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसले को मुनासिब बताया। संजय गांधी को इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था। लेकिन अचानक उनकी मौत ने देश की सियासी हवा बदल दी। फिर चार साल बाद इंदिरा गांधी की भी हत्या हो गई। फिर राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। संजय गांधी को रफ्तार से प्यार था, वो गाड़ी भी तेज चलाते थे। आकाश में जहाज से ऐसी कलाबाजियां करते जैसे मानो कोई जादूगर लोगों को अपना करतब दिखा रहा हो। संजय गांधी जिस दिन प्लेन उड़ा रहे थे, उस दिन उनकी पत्नी मेनका ने मां इंदिरा से कहा था कि वो उन्हें प्लेन को गोता लगाने से मना करें। जब तक इंदिरा बाहर निकलती, तब तक संजय अपनी मेटाडोर लेकर निकल चुके थे।
संसद का सत्र चल रहा था, लोकसभा के स्पीकर थे बलराम जाखड़। दिल्ली में चाणक्यपुरी के पास संजय गांधी विमान उड़ा रहे थे। टू सिटर विमान का नाम पिट्स एस टू ए था। 7:58 पर उन्होंने टेकऑफ किया था। रिहाइशी इलाके के ऊपर आसमान में विमान ने तीन लूप लगाए। चौथी लूप लगाने ही वाले थे कि विमान नाक के बल जमीन पर गिर पड़ा। आसपास कुछ नहीं केवल काले धुएं का गुबार दिख रहा था। संजय गांधी की मौत की खबर सुनकर हरकोई स्तब्ध था। वो प्रधानमंत्री नहीं थे लेकिन उनकी ताकत प्रधानमंत्री से कम भी नहीं थी।
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संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को दिल्ली (भारत) में हुआ था। इनका जन्म देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने नेहरू गाँधी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम फिरोज गांधी और माता का नाम इंदिरा गांधी था। ये अपने माता पिता की संतानो में से सबसे छोटे थे इनके बड़े भाई का नाम राजीव गांधी था। अपने बड़े भाई राजीव गांधी की तरह, संजय की शिक्षा भी सेंट कोलंबा, दिल्ली, और फिर वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून में हुई थी। और इससे आगे की शिक्षा भी इकोले डी हुमनीटे, स्विट्जरलैंड के एक अंतर्राष्ट्रीय बोर्डिंग स्कूल में हुई थी। संजय ने विश्वविद्यालय में भाग नहीं लिया, लेकिन मोटर वाहन इंजीनियरिंग को एक कैरियर के रूप में लिया। संजय लंदन के पास क्रू स्थित रोल्स रॉयस फैक्टरी में चार साल की एप्रेंटिसशिप कर रहे थे।
विमान दुर्घटना से पहले संजय को मारने की तीन कोशिशें की गईं
उत्तर प्रदेश के अमेठी से सांसद रहे संजय गांधी को अपने जीवनकाल के दौरान तीन हत्या के प्रयासों का सामना करना पड़ा। विकिलीक्स ने खुलासा किया था संजय गांधी पर तीन बार जानलेवा हमले किए गए थे। अमेरिकी खुफिया विभाग द्वारा 6 सितंबर 1976 को विदेश विभाग को प्रदान किए गए टेलीग्राफिक संचार में लिखा गया कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे को एक अज्ञात हमलावर ने निशाना बनाया था। हालांकि हमला एक "सुनियोजित हत्या का प्रयास" था, गांधी बच गए और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा। संजय गांधी पर एक और हमला 30 से 31 अगस्त 1976 को हुआ। विकिलीक्स के मुताबिक हमलावर ने संजय गांधी पर 3 गोलियां चलाई लेकिन वह बच गए। यह साफ नहीं है कि वह जख्मी हुए थे या नहीं। विकिलीक्स के मुताबिक संजय गांधी को इमरजेंसी के दौरान ही निशाना बनाया गया। विकीलीक्स द्वारा दस्तावेज़ को सार्वजनिक करने से पहले, संजय के जीवन पर इस तरह के किसी भी प्रयास के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अन्य अमेरिकी केबलों ने भारतीय राजनीति में संजय गांधी की भूमिका को आपातकाल के पीछे एक सत्तावादी व्यक्ति के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने अपनी मां की शक्ति को बरकरार रखने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। जब 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई, तो कई जांच शुरू की गईं। हालांकि, उनमें से किसी ने भी संजय गांधी के ऊपर हुए हमलों के प्रयास को लेकर कोई जांच नहीं की गई। कांग्रेस के सत्ता में वापस आने के तुरंत बाद 23 जून 1980 को विमान दुर्घटना में 33 वर्षीय युवा सांसद की मौत हो गई थी।
- अभिनय आकाश