By एकता | Dec 13, 2024
2024 ज्योतिष के हिसाब से कई मायनों में खास रहा। इस साल शनि की वक्री चाल ने लोगों को काफी परेशान किया। शनि ने 139 दिन तक उल्टी चाल चली और इस दौरान कुछ गिनी चुनी राशियों को छोड़कर बाकी अन्य राशि के जातकों को हर काम को सफल बनाने के लिए कड़ी महनत करनी पड़ी। हालांकि, बाद में शनि मार्गी हो गए थे और लोगों के बिगड़ते काम बनने लगे थे। इसके अलावा सूर्य, बुध, मंगल और शुक्र ग्रह ने राशि परिवर्तन किया। इन बड़े ग्रहों के राशि परिवर्तन का भी अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़ा।
जून महीने में सूर्य, बुध, मंगल और शुक्र ग्रह ने राशि परिवर्तन किया। 1 जून को ग्रहों के सेनापति और महान पराक्रमी ग्रह मंगल मेष राशि में गोचर किया। इसके बाद 12 जून को सुख और वैभव प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र अपनी स्वयं की राशि वृषभ की यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में प्रवेश किया। वाणी, बुद्धि और व्यापार के कारक ग्रह बुध 14 जून को मिथुन राशि में गोचर किया और फिर 29 जून मिथुन से कर्क राशि में चले गए। इसके बाद 15 जून को सूर्य ने मिथुन राशि में गोचर किया, जिसे मिथुन संक्राति कहते हैं। इन ग्रहों के राशि परिवर्तन से मिथुन, वृश्चिक, मकर और मीन के जातकों को फायदा हुआ। वहीं, वृषभ, सिंह, तुला और कुंभ पर अशुभ प्रभाव पड़ा। इन सब के अलावा मेष कर्क, कन्या और धनु पर ग्रहों के राशि परिवर्तन का मिलाजुला प्रभाव पड़ा।
शनि देव 29 जून को रात्रि 12:37 बजे कुंभ राशि में वक्री हुए। 139 दिनों तक शनि ने उल्टी चाल चली। शनि देव की वक्री चाल का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ाव। शनि की उल्टी चाल का प्रभाव सबसे अधिक कर्क, सिंह, कन्या, मकर, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ा। शनि ग्रह के गोचर से मीन राशि पर साढ़े साती आरंभ हुई। वहीं कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण, मकर राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण, कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर ढैय्या का आरंभ हुआ। शनि के वक्री होने का शुभ प्रभाव भी पड़ता है। शनि के शुभ प्रभावों में लोगों के रुके हुए काम पूरा होना, नौकरीपेशा लोगों का प्रमोशन होना, प्रॉपर्टी से जुड़े मामले आना शामिल है। शनि के अशुभ प्रभाव से कुछ लोगों को पैर में या हड्डी की चोट लगना, ऑपरेशन की स्थिति बनना, साढ़ेसाती वालों के सामने कर्जा लेने जैसी स्थिति उत्पन होती है।
ज्योतिष शास्त्र में, गुरु और मंगल का योग शुभ फल देने वाला होता है। जुलाई महीने में, मंगल और गुरु ने एक साथ करीब 11 साल बाद वृषभ राशि में गोचर किया। ग्रहों के इस गोचर से कई दुर्लभ संयोग बने और 5 राशियों को शुभ फल मिले। मंगल और गुरु के इस गोचर से मेष राशि के जातकों को उन्नति और धन लाभ हुआ। इनके करियर में पदोन्नति के भी योग थे। सिंह राशि के जातकों के लिए कार्यक्षेत्र में उच्च अधिकारियों से मान-सम्मान मिलेगा और नौकरी व व्यापार में उन्नति मिलने के योग थे। वृश्चिक राशि के जातकों को इस दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इन्हें कामों में सफलता भी मिली। मकर राशि के जातकों के उन्नति और धन लाभ के योग थे। कुंभ राशि के जातकों के इस दौरान कठिन से कठिन काम बनें।
29 जून की रात से वक्री चाल चलने के बाद शनि देव 15 नवंबर को शाम 7:51 पर मार्गी हुए। शनि के मार्गी होने का तीन राशियों पर प्रभाव पड़ा। मिथुन राशि के जातकों को इस दौरान भाग्य का पूरा साथ मिला। धन लाभ के नए अवसर प्राप्त हुए। इसके अलावा वृश्चिक राशि के जातकों के मकान, वाहन आदि की सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी के योग बने थे। शनिदेव मकर राशि की कुंडली के दूसरे भाव में मार्गी हुए थे, जो भाव धन का होता है। ऐसे में धन लाभ के अवसरों में वृद्धि के योग बने।