By अनन्या मिश्रा | May 13, 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। बीते 10 मई को 5.13 करोड़ मतदाताओं ने 224 सीटों पर 2,615 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया था। अब तक कांग्रेस दोनों दलों यानी की बीजेपी और जेडीएस से काफी आगे चल रही है। राज्य में कांग्रेस की इस जीत के पीछे दो बड़े राजनेताओं की अहम भूमिका मानी जा रही है। जिनमें से एक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और दूसरे कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं।
अनुसूचित जाति बहुल सीटों पर खरगे का चला जादू
जब से राज्य में चुनाव की चर्चा शुरू हुई थी। तभी से खरगे के गृह प्रदेश कांग्रेसियों की यही चाहत ही कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन की जीत हो। वहीं राज्य के कई कांग्रेस नेताओं ने दलील दी थी कि खरगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से कर्नाटक की कई परेशानियां का हल मिल जाएगा। इसके अलावा राज्य के नेताओं का मानना था कि खरगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को जीत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
बता दें कि खरगे लंबे समय से कर्नाटक की सियासत में सक्रिय रहे हैं। वहीं पार्टी को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने के लिए उन्होंने कई कमेटियों बनवाईं थीं। चुनाव के दौरान खरगे ने कई रैली कर पार्टी के पक्ष में जनाधार बनाने का काम किया था। इस दौरान उन्होंने पार्टी की प्रदेश कमान को भी सहयोग देने का काम किया।
कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हैं खरगे
मल्लिकार्जुन खरगे दलित समुदाय से ताल्लुख रखते हैं। वहीं राज्य की करीब 23 फीसदी आबादी दलित है। बता दें कि कर्नाटक में 35 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, खरगे की वजह से ही इन सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है। यही कारण है कि कांग्रेस सत्तारुढ़ भाजपा को मात देने में सफल रही है। राजनीतिक जानकारों ने बताया कि खरगे राज्य से 9 बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि उनको कर्नाटक से सीएम बनने का मौका नहीं मिला। लेकिन इसके बाद भी उनकी गिनती कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं में होती है।