By रेनू तिवारी | Mar 27, 2024
तंत्र के रहस्यमय आकर्षण ने तेजी से पश्चिमी कल्पना पर कब्जा कर लिया है, जिससे इसकी प्रथाओं के बारे में जिज्ञासा और चिंताएं दोनों बढ़ गई हैं। यह लेख तंत्र के रहस्यों को उजागर करने, इसकी बहुआयामी प्रकृति की खोज करने और आम गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास करता है। इसकी गहन आध्यात्मिक क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, आइए तंत्र को सम्मान, जागरूकता और सावधानी के साथ अपनाने की आवश्यकता को भी स्वीकार करें। तंत्र, जिसे अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है या आंशिक रूप से समझा जाता है, केवल एक विदेशी (या कामुक...) आध्यात्मिक अभ्यास से कहीं अधिक है। तंत्र जटिल है, और अलग-अलग लोगों के लिए इसका मतलब अलग-अलग हो सकता है। इस विषय पर मेरा अपना ज्ञान अभी भी बढ़ रहा है, लेकिन भारत और इंडोनेशिया जैसे स्थानों में कुछ प्रमुख तंत्र चिकित्सकों से सीखने के बाद, मैं इस सरल व्याख्याकार को एक साथ रख रहा हूं।
तंत्र शिव और शक्ति की एक विद्या
असल में तंत्र शिव और शक्ति की एक विद्या है जिसको समझना एक जन्म की बात नहीं हैं इंसान के लिए। इंसान अपना सबकुछ त्याग कर ऐसी विद्याओं के पहले चरण तक ही पहुंच पाता हैं। आजकल लोग ढोंग के नाम कर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं और तंत्र को बदनाम कर रहे हैं। आजकल भारत के बहुत से नगरों में और विदेशो में भी तन्त्र शास्त्र के प्रति लोगो की रूचि बढ़ चली है जिसके कारण बहुत से होशियार और चतुर व्यक्तियों ने अपने आपको तांत्रिक घोषित करके अपनी तन्त्र की दुकान खोल ली है और वास्तविकता तो यह है कि धर्म से अनभिज्ञ एवं धर्म भीरु जनता ऐसे तांत्रिको के चंगुल में सरलता से फँस जाती है l कुछ शार्टकट होते हैं जिसकों अपनाकर कुछ लोग काला जादू करना सीख जाते हैं उसे ही तंत्र कहकर अपनी दुकान चलाते हैं। यदि इन सभी भी तन्त्र के व्यवसायिकों से कोई पूछे कि भारत में तांत्रिक सिद्ध पीठ कहाँ - कहाँ है ? उन पीठो में कौन- कौन सिद्ध तांत्रिक है ? जिन्हे दीक्षा देने का अधिकार है, वह सिद्धि क्यों प्राप्त की जाती है या किस तन्त्र पद्धति से किस महाविधा अथवा शक्ति की सिद्धि के लिए कितने दिनों तक साधना करके कौन - सी सिद्धि होती है ? तो वह तथाकथित ढोंगी तांत्रिक कुछ भी उत्तर नहीं दे सकेंगे l
क्या तंत्र खतरनाक है?
कुछ जिज्ञासुओं ने कुछ किताबें पढ़ीं और तंत्र सीखने की इच्छा उनके अंदर उत्पन्न हो गयी। क्या वह एक किताब के जरिए तंत्र सीख सकते हैं? नहीं। तंत्र एक खतरनाक क्रिया है जिसे बिना किसी गुरू के नहीं किया जा सकता हैं। अक्सर, तांत्रिक बौद्ध धर्म (शायद हिंदू धर्म भी) को इस स्पष्ट अस्वीकरण के साथ समझाया जाता है कि किसी को स्वयं तांत्रिक अभ्यास का प्रयास नहीं करना चाहिए। तो क्या ग़लत हो सकता है? क्या आपमें से किसी ने कभी ग़लत अभ्यास के परिणामस्वरूप कुछ बुरा देखा है? एक्सपर्ट कहते हैं कि बिगा गुरू के तंत्र सीखना बेहद खतरनाक साबित हो सकता हैं। यह इस बात की याद दिलाता है कि कैसे अनुभवी एलएसडी उपयोगकर्ता नए लोगों को अकेले यात्रा न करने की सलाह देंगे। क्या इसका मतलब यही है? क्या कोई ग्रीन तारा की कल्पना कर रहा था और छत से कूद गया था या कुछ और? क्या आपकी राय में, तंत्र सीखने और अभ्यास करने के लिए एक किताब संभवतः काफी अच्छी हो सकती है?