शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस वास्तव में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद एक जन अपील वाला नेता खोजने के लिए संघर्ष कर रही है। जिसकी तालाश में प्रदेश के नेताओं के साथ जनपथ पर मैराथन बैठक सोनिया गांधी कर चुकी हैं। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी से मिलने वाले नेताओं ने भी उनसे संभावित ’आप’ खतरे से निपटने के लिए रणनीति तैयार करने का अनुरोध किया था।
प्रदेश की राजनिति में इन दिनों सबसे बडा डर आम आदमी का देखा जा रहा है। इस डर से सबसे ज्यादा प्रभावित कांग्रेस पार्टी ही है। कई गुटों में उलझा कांग्रेस इन दिनों एक जनाधार वाले नेता की तालाश में जुटी है। जो आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिला सके। मथंन के दौर में नेता अपनी गोटियां बिठाने में लगे हैं। भले ही उनके पास जनसमर्थन न हो। यही वजह है कि अब सवाल उठ रहा है कि वीरभद्र सिंह जैसा कद्दावर नेता क्या प्रदेश को मिल पायेगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता बृज मोहन सोनी मानते हैं कि पार्टी इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। आज पार्टी को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जैसे कद्दावर नेता की जरूरत है। जो सबको साथ लेकर चल सके। व चुनावों में जीत दिला सके। सोनी बताते हैं कि वीरभद्र सिंह हमेशा ही पार्टी के लिये संकटमोचक साबित हुये। उन्होंने कई चुनाव अकेले ही जीतवा दिये। लेकिन आज हालात अलग हैं।
दरअसल, हिमाचल कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के खिलाफ इन दिनों बगावत के सुर उभरे हैं। व पार्टी का बडा हिस्सा उन्हें हटाने की मांग कर रहा है। जिसके चलते पार्टी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया था। हिमाचल कांग्रेस में नये अध्यक्ष के दावेदारों में मुकेश अगिनहोत्री , आशा कुमारी , सुखविन्दर सिंह सुक्खू और कौल सिंह का नाम उभर कर सामने आ रहा है। लेकिन इनमें सुखविन्दर सिंह सुक्खू की दावेदारी मजबूत होकर उभरी है। अपनी दावेदारी के सवाल सुक्खू ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश रखने में कोई बुराई नहीं है। आलाकमान इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद संभावित नेता कौन हैं या वास्तव में राज्य का नेतृत्व करने के गुण कौन रखते हैं।
उन्होंने सवाल किया कि क्या मैं इस पद के लिए योग्य नहीं हूँ? मेरी अपनी हैसियत और योग्यता है। मैंने जमीनी स्तर से पार्टी के सर्वोच्च पद तक काम किया है और राज्य में कांग्रेस को मजबूत किया है। मेरी पहली प्राथमिकता कांग्रेस को सत्ता में लाना है इसके लिए पार्टी को एक जुट होना जरुरी हैं
कांग्रेस के करीबी सूत्रों ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर चुनाव समितियों के अलावा राज्य पार्टी संगठनों में आमूल-चूल परिवर्तन पर निर्णय की घोषणा की जा सकती है। पड़ोसी राज्य पंजाब में पार्टी की शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व भी कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा के पक्ष में नहीं है और राज्य के नेताओं से आप की चुनौती से निपटने के लिए एकजुट चेहरा पेश करने को कहा है।