France Riot: किशोर की मौत मामले में हिंसक प्रदर्शन के दौरान 1300 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 01, 2023

पेरिस। फ्रांस में पुलिस द्वारा 17 वर्षीय एक किशोर को गोली मारे जाने की घटना के बाद भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद चौथी रात को व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और इस दौरान देशभर में 1,311 लोगों को गिरफ्तार किया गया। विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों, इमारतों में आग लगा दी, स्टोर में लूटपाट की। अधिकारियों के मुताबिक रातभर युवा प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हुई। उन्होंने बतया कि विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने करीब 2,500 दुकानों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की।

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फ्रांस के गृह मंत्रालय ने बताया कि हिंसा रोकने के लिए देश भर में 45,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अभिभावकों से अपने बच्चों को सड़कों से दूर रखने की अपील की और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया को दोषी ठहराया। नैनटेरे के उपनगर में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किशोर नाहेल को दफनाने की प्रक्रिया शनिवार को शुरू कर दी गई। हालांकि, सरकार का कहना है कि कड़े सुरक्षा उपायों के कारण हिंसक घटनाओं में कमी आई है। मंगलवार रात को प्रदर्शन की शुरुआत के बाद से पुलिस ने कुल 2,400 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से आधी से ज्यादा गिरफ्तारियां हिंसा की चौथी रात में हुईं।

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पेरिस से मार्सिले और ल्योन तक हिंसा की आग फैल गई है जिसमें सैकड़ों पुलिसकर्मी और दमकलकर्मी घायल हुए हैं। इस बीच, फ्रांस की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्टार किलियन एम बापे भी शामिल हैं, ने हिंसा को समाप्त करने का अनुरोध किया। खिलाड़ियों ने एक बयान में कहा, ‘‘हम दर्द और दुख की इस भावना को साझा करते हैं। हिंसा से कुछ समाधान नहीं निकलेगा।

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अभिव्यक्ति के अन्य शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके हैं।’’ नाहेल की मां मौनिया एम ने ‘फ्रांस 5’ टेलीविजन को बताया कि वह उस पुलिस अधिकारी से बहुत अधिक क्रोधित हैं जिसने उनके बच्चे को मार डाला। उन्होंने कहा, ‘‘वह कुछ-कुछ अरबी बच्चों की तरह दिखता था। वह (अधिकारी) उसकी जान लेना चाहता था।’’ किशोर के परिवार की विरासत अल्जीरिया से जुड़ी है। मौनिया ने कहा, ‘‘एक पुलिस अधिकारी अपनी बंदूक लेकर हमारे बच्चों पर गोली नहीं चला सकता, हमारे बच्चों की जान नहीं ले सकता।’’ गौरतलब है कि मंगलवार को यातायात जांच के दौरान 17 वर्षीय नाहेल की हत्या का वीडियो भी सामने आया है। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है और लोग काफी आक्रोशित हैं। मौत के बाद पेरिस उपनगर में गुस्सा फूट पड़ा और तेजी से पूरे देश में हिंसा भड़क गई। नैनटेरे के मेयर पैट्रिक जेरी ने कहा कि फ्रांस को वंचित इलाकों में ‘‘परिवर्तन के लिए जोर देने’’ की जरूरत है। व्यापक हिंसा के बावजूद मैक्रों ने आपात स्थिति की घोषणा नहीं की है।

वर्ष 2005 में इसी तरह की परिस्थितियों में इस विकल्प का इस्तेमाल किया गया था। इसके बजाए, सरकार छुट्टी पर गए अधिकारियों को बुलाने के साथ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर जोर दे रही है। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डरमेनिन ने शुक्रवार को देश भर में सभी सार्वजनिक बसों और ट्राम को रात के समय बंद करने का आदेश दिया, जो दंगाइयों के निशाने पर रहे हैं। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया नेटवर्क को चेतावनी दी है कि वे इसे हिंसा के आह्वान के माध्यम के रूप में इस्तेमाल न होने दें। डरमेनिन ने कहा कि फ्रांसीसी अधिकारी हिंसा भड़काने वाले लोगों की पहचान करने में सोशल मीडिया नेटवर्क की मदद ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम हर उस व्यक्ति का पीछा करेंगे जो हिंसक कृत्यों को अंजाम देने के लिए इन सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करता है।’’ वहीं, मैक्रों ने उन सोशल मीडिया प्लेटफार्म को आड़े हाथों लिया, जिन्होंने हिंसा और कारों तथा इमारतों को आग लगाए जाने की तस्वीरें प्रसारित की हैं। सोशल मीडिया ऐप स्नैपचैट और टिकटॉक पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इनका इस्तेमाल अशांति फैलाने के लिए किया जा रहा है।

नाहेल की हत्या के आरोपी पुलिस अधिकारी पर इरादतन हत्या का प्रारंभिक आरोप लगाया गया है। प्रारंभिक आरोपों का मतलब है कि जांच करने वाले मजिस्ट्रेट को गलत कृत्य का गहरा संदेह है, लेकिन किसी मामले को सुनवाई के लिए भेजने से पहले उन्हें और अधिक जांच करने की आवश्यकता है। नैनटेरे अभियोजक पास्कल प्राचे ने कहा कि उनकी प्रारंभिक जांच से वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अधिकारी द्वारा अपने हथियार का इस्तेमाल कानूनी रूप से उचित नहीं था।

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पिछले साल यातायात के दौरान रूकने के निर्देश का पालन नहीं करने वाले 13 लोगों को पुलिस ने गोली मार दी थी। इस साल, नाहेल समेत अन्य तीन लोगों की इसी तरह की परिस्थितियों में मौत हो गई। इन मौतों के मद्देनजर लोग पुलिस से अधिक जवाबदेही का आह्वान कर रहे हैं। इस सप्ताह के विरोध प्रदर्शनों ने 2005 में हुए तीन सप्ताह तक हिंसक प्रदर्शनों की याद दिला दी। उस समय 15 वर्षीय बाउना ट्रोरे और 17 वर्षीय जायद बेना की मौत हो गई थी, जो क्लिची-सूस-बोइस में एक बिजली सबस्टेशन में पुलिस से छिपते समय बिजली की चपेट में आ गए थे।

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