By रेनू तिवारी | Nov 22, 2023
नयी दिल्ली। उत्तरकाशी: एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आंशिक रूप से ध्वस्त सुरंग से 41 श्रमिकों को निकालने के लिए 11 दिनों से कड़ी मेहनत कर रहे बचावकर्मी अगले 24 घंटों में "कुछ बड़ी खबर" की उम्मीद करते हैं। अतिरिक्त सचिव तकनीकी, सड़क और परिवहन, महमूद अहमद ने कहा कि "कुछ बड़ी खबर" की उम्मीद थी क्योंकि अतिरिक्त 880-मिलीमीटर पाइप को मलबे में कई मीटर तक धकेल दिया गया था। उन्होंने कहा कि बचावकर्मियों ने मलबे में तीन पाइप डाले हैं। हालाँकि, उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारी सुरंग के अंदर 45-50 मीटर तक नहीं पहुँच जाते, तब तक वह उनके बचाव के लिए सटीक समय सीमा नहीं बता पाएंगे। उन्होंने कहा, "जब तक हम सुरंग के अंदर 45-50 मीटर तक पहुंचेंगे, हम आपको सटीक समय नहीं बता पाएंगे।" उन्होंने आगे कहा "अगर कोई रुकावट नहीं आई तो आज रात या कल सुबह कोई बड़ी खबर मिल सकती है। मलबे के साथ एक लोहे की रॉड भी आई है। खुशी की बात यह है कि पाइपलाइन बिछाने के बीच में इस लोहे के कारण कोई दिक्कत नहीं हुई।"
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए क्षैतिज पाइप 42 मीटर तक डाला गया जिससे फंसे हुए 41 लोगों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीद जगी है। सरकार ने एक बयान में कहा कि अब तक क्षैतिज ‘ड्रिल’ करके 42 मीटर तक या 67 प्रतिशत हिस्से तक पाइप डाला गया है। इसमें कहा गया है कि एक अन्य पाइप के जरिये रोटी, सब्जी, खिचड़ी, दलिया, संतरे और केले जैसेखाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा दवाओं और टी-शर्ट, अंतर्वस्त्र तथा टूथपेस्ट, साबुन जैसी अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है।
ष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ)/ राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) द्वारा ‘वायर’ संपर्क के जरिये एक संशोधित संचार प्रणाली विकसित की गई। बयान में कहा गया है, ‘‘एनएचआईडीसीएल ने ऑगर बोरिंग मशीन का इस्तेमाल करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिलक्यारा से क्षैतिज बोरिंग फिर से शुरू कर दी है।’’
सिलक्यारा से ढहे हिस्से के मलबे के बीच बोरिंग के काम को शुक्रवार दोपहर को रोक दिया गया था जब अमेरिकी निर्मित ऑगर मशीन को लगभग 22 मीटर के बाद बाधा का सामना करना पड़ा था।
क्षैतिज ‘ड्रिल’ करने का अभियान मंगलवार को फिर शुरू किया गया था।
उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए थे, जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।