लंबे समय तक दिल्ली की सेवा करके अपने क्लीनिक लौट चुके हैं Dr. Harsh Vardhan, कृष्णा नगर सीट से 5 बार रहे हैं विधायक

By Anoop Prajapati | Dec 14, 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन ओटोरहिनोलेरिन्जोलॉजिस्ट भी हैं। उन्होंने मई 2019 से जुलाई 2021 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और पृथ्वी विज्ञान मंत्री के रूप में कार्य किया था। वउन्हें 22 मई 2020 से विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के पद के लिए चुना गया था। कोविड -19 महामारी पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया में वर्धन प्रमुख रहे हैं ।


इसी साल चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र से टिकट कटने के बाद पूर्व हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने 30 वर्ष के अपने राजनीतिक कैरियर को अलविदा कह दिया था। जिसके बाद वे पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में अपने ईएनटी क्लीनिक में लौट गए हैं। लेकिन राजनीति से लौटने के बाद भी अगले कई दशकों तक हेल्थ सेक्टर में उनकी छाप नजर आएगी। पोलियो को देश से जड़ से खत्म करने के लिए उन्होंने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत में ही जो कदम उठाए, उनकी बदौलत ही पोलियो का सफाया हो सका।


प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा

13 जनवरी 1954 को दिल्ली में जन्मे डॉ. हर्षवर्धन ने शुरुआती पढ़ाई एंग्लो-संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। इसके बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से कॉलेज की शिक्षा पूरी की। उनके पास एम.बी.बी.एस, एम.एस की डिग्री है। वह मूल रूप से सर्जन हैं, लेकिन दिल्ली में पोलियो को खत्म करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। 1998 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें डायरेक्टर जनरल्स कमेंडेसन मेडल’ से सम्मानित किया।


संघ नेता के कहने पर राजनीति में आए

बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता के कहने पर ही डॉ. हर्षवर्धन राजनीति में आए थे। वह यह बात स्वीकार भी चुके हैं। चूंकि, वह पंडित दीनदयाल की सोच से प्रभावित थे। यही वजह रही कि राजनीति से छुट्टी लेने के बाद अब वह फिर से जनसेवा में लगने जा रहे हैं और मेडिकल क्लीनिक पर रहकर लोगों की मदद करेंगे। हर्षवर्धन के मुताबिक, राजनीति उन्हें गरीबी, नजरअंदाजी और बीमारी से लड़ने का जरिया लगती थी। यही वजह थी कि राजनेता बने थे।


दो बार मंत्री और 5 बार रहे विधायक

दिल्ली में एक बार और केंद्र में दो बार हेल्थ मिनिस्टर रहे डॉ. हर्षवर्धन ने एक्स पर लिखा कि अपने करियर में 5 विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीते। अब वे अपनी जड़ों की ओर वापस जाना चाहते हैं। डॉ. हर्षवर्धन को करियर की शुरुआत में ही जबरदस्त कामयाबी मिली। 1993 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने अपना हेल्थ मिनिस्टर बनाया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में पोलियो खत्म करने के लिए जबरदस्त पल्स पोलियो अभियान चलाया।


जोड़-तोड़ की सरकार से 2013 में इनकार

पूरे देश में पोलियो खत्म करने के लिए उनके मॉडल को अपनाया। इस मॉडल की विश्वभर में चर्चा हुई। 1998 में बीजेपी की सरकार हटने के बाद भी डॉ. हर्षवर्धन पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रहे और लगातार विधानसभा चुनाव भी जीतते रहे। राजनीतिक मर्यादाओं का पालन करते हुए उन्होंने 2013 में उस वक्त जोड़तोड़ करके सरकार बनाने से इनकार कर दिया, जबकि उन्हें बहुमत के लिए बाहर से बेहद कम विधायकों की जरूरत थी। कई लोग तैयार भी थे लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर सरकार बनाने से मना कर दिया।


कोरोनाकाल में रहे थे देश के हेल्थ मिनिस्टर


जिस वक्त भारत कोरोना वायरस संक्रमण के संकट काल से बुरी तरह जूझ रहा था उस समय देश के हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन ही थे। स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उनका योगदान अतुलनीय माना जाता है। उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास का एलान करते हुए लिखा कि मानव जाति के इतिहास में केवल कुछ ही लोगों को गंभीर खतरे के समय में अपने लोगों की रक्षा करने का मौका मिला है। कोरोनाकाल में आम लोगों के बीच जागरुकता फैलाने से लेकर कोरोना वैक्सीन के निर्माण में भी हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए लगातार काम किया। भारत में बनी वैक्सीन से करोड़ों लोगों को दो डोज लगे और विदेशों में भी इसे जरूरतमंदों तक पहुंचाया गया।


2021 में चला गया था मंत्री पद

डॉ. हर्षवर्धन को मई 2017 में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन भी बनाया गया था और मई 2019 तक उनके पास यह जिम्मेदारी रही। मई 2019 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने और उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण; विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय बनाया गया। वैसे, जुलाई 2021 में उनसे मंत्री पद छिन गया था और अब पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट भी नहीं दिया। इसके बाद हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का फैसला किया।

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