By नीरज कुमार दुबे | Apr 07, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से हमने जानना चाहा कि अरुणाचल प्रदेश की कुछ जगहों के नाम चीन ने अपने हिसाब से रख दिये हैं। जिसका भारत ने विरोध किया है। इसके अलावा चीन ने पुतिन की नई विदेश नीति का समर्थन करते हुए कहा है कि वह रूस और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है। यह सब क्या दर्शाता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का चीन द्वारा पुन: नामकरण करने को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह राज्य भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है और ‘गढ़े’ गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जायेगी। भारत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब हाल में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए थे। चीन इस क्षेत्र को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर इस पर अपना दावा करता है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे सिरे से खारिज करते कहा कि ‘मनगढंत’ नाम रखने से हकीकत बदल नहीं जायेगी।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के अनुसार तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान बताता है। चीन की सरकार द्वारा संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपनी एक खबर में कहा कि मंत्रालय ने 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, जिनमें दो भूमि क्षेत्रों, दो आवासीय क्षेत्रों, पांच पर्वत चोटियों और दो नदियों सहित उनके सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं। इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी सूचीबद्ध की गई है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने भारत की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि ‘जंगनान’ चीनी क्षेत्र का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि चीनी मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जारी मानकीकृत भौगोलिक नामों की यह तीसरी सूची है। अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की गई थी, और 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का पुन: नामकरण ऐसे समय में किया है, जब पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। पिछले महीने ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है, जो कई स्थानों पर दोनों देशों की सीमा पर सैनिकों की काफी करीब तैनाती के कारण भी है। उन्होंने कहा कि हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी कहा था कि सीमा पर कई स्थानों पर पीछे हटने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है। भारत का कहना है कि सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित हुए बिना चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि वहीं, अमेरिका ने कहा है कि वह अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देता है और क्षेत्रीय दावों के तहत स्थानीय इलाकों का नाम बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने कहा है कि अमेरिका उस क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश) को लंबे समय से (भारत के अभिन्न अंग के रूप में) मान्यता देता रहा है। हम इलाकों का नाम बदलकर क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि वहीं जहां तक चीन के भारत और रूस के साथ संबंधों की बात है तो चीन ने रूस की नई विदेश नीति अवधारणा पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बीजिंग, मॉस्को और नई दिल्ली “उल्लेखनीय प्रभाव” के साथ उभरती “प्रमुख शक्तियां” हैं तथा वह जटिल परिवर्तनों के मद्देनजर उनके साथ संबंध बढ़ाने और दुनिया को “सकारात्मक संकेत” भेजने के लिए तैयार है। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गत शुक्रवार को नई विदेश नीति अवधारणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया है कि चीन और भारत के साथ संबंधों को मजबूत एवं गहरा करना रूस के लिए एक कूटनीतिक प्राथमिकता है। पुतिन द्वारा अनुमोदित एक अद्यतन विदेश नीति सिद्धांत के अनुसार, रूस यूरेशिया में भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी और व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा अमित्र देशों और उनके गठबंधनों के विनाशकारी कार्यों का प्रतिरोध सुनिश्चित करेगा।