शिमला । कांग्रेस पार्टी पिछले चार सालों से कहती आ रही है कि जयराम सरकार निकम्मी सरकार है जिसने विकास के मामले में प्रदेश को 20 वर्ष पीछे धकेल दिया है।यह सरकार मात्र जुमलेवाज़ी करने तक सीमित है।कांग्रेस के इन आरोपों की पुष्टि भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से होती है जिसमें हिमाचल सरकार को विकास के मामले में कोई कदम नहीं उठाने पर कड़ी फटकार लगाई गई है।यह प्रतिक्रिया हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा ने आज मीडिया को दी।
उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट में भाजपा सरकार के आर्थिक प्रवंधन पर कड़ी टिप्पणियां की गई हैं।2019-20 की इस रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल सरकार ने पेयजल, पर्यटन,ऊर्जा आदि से सम्वन्धित 96 विकास योजनाओं पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया और न ही इसके कारण बताए।इन 96 योजनाओं में से एक भी योजना एक करोड़ रुपए से कम की नहीं थी।इससे सरकार के कुप्रबन्धन का पता चलता है।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि स्टैम्प ड्यूटी के रूप में 53 करोड़ रुपए का चूना लगा है।
आबकारी विभाग की विफलता से करोड़ों का नुकसान हुआ है।सरकार द्वारा 13092.37 करोड़ की नीतिगत घोषणाओं में से वास्तविक रूप में महज5031 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए और 8059.46 करोड़ रुपए इन घोषणाओं पर खर्च नहीं हुए।इसी तरह कौशल विकास भत्ता योजना,अटल आदर्श विद्या केंद्र,नूतन पाली आवास योजना, खुम्ब विकास योजना सहित विभिन्न योजनाओं पर खर्च ही नहीं किया गया।यह सब सरकार की अनुभवहीनता एवम अफसरशाही की लापरवाही को दर्शाता है।दीपक शर्मा ने कहा कि प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ कर 62234 करोड़ रुपए हो चुका है लेकिन सरकार ने इस बारे में भी कोई गम्भीर कदम उठाना मुनासिब नहीं समझा।यह दुर्भाग्यपूर्ण है।कांग्रेस नेता ने कहा कि कैग की रिपोर्ट के बाद यह बात साफ हो गई है कि भाजपा सरकार प्रदेश में कुशल शासन व्यवस्था देने में नाकाम रही है।
सरकार ने चार वर्ष मात्र कुर्सी बचाने,मोदी का गुणगान करने में और जुमलेवाज़ी में ही अपना समय बर्बाद किया है।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कैग की इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद जयराम सरकार को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।वैसे भी सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है।भाजपा सरकार को असफल प्रवंधन और प्रदेश को विकास के मामले में गर्त में धकेलने पर प्रदेश की जनता से मुआफी मांगते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए।इसी में प्रदेश की भलाई है।