केंद्र सरकार ने इस वर्ष बजट से पहले बड़ा फैसला किया है। इस वर्ष केंद्र सरकार इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं करेगी। आम चुनावों से पहले ही केंद्र सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है। आमतौर पर आर्थिक सर्वेक्षण या इकोनॉमिक सर्वे को सरकार बजट पेश होने से एक दिन पहले संसद में पेश करती है।
हालांकि इस वर्ष वित्त मंत्रालय ने "द इंडियन इकोनॉमी ए रिव्यू 2024" को पेश किया है। बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण एक डॉक्यूमेंट है, जिसे मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते है। इस रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2024-25 के दौरान जीडीपी में सात प्रतिशत तक बढ़ोतरी रह सकती है। इस रिपोर्ट में ही जानकारी दी गई है कि आर्थिक सर्वेक्षण को आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट में ही पेश किया जाएगा।
बता दें कि भारत का पहला आर्थिक सर्वे वर्ष 1950-51 के दौरान पेश किया गया था। वर्ष 1964 के बाद से ही आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट को साथ में पेश किया जाने लगा है। हालांकि इस वर्ष आम चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार आर्थिक रिपोर्ट लाई है, जिसमें बीते 10 वर्षों का ब्यौरा दिया गया है। इस रिपोर्ट में ही भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर भी रौशनी डाली गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी तीन वर्षों मे ही भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। वर्ष 2030 तक देश सात ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा। वर्ष 2030 तक भारत सात ट्रिलियन इकोनॉमी भी बनेगा। दस साल पहले भारत 1.9 लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था।
वित्त मंत्रालय ने जताया अनुमान
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि महामारी के असर और वृहद-आर्थिक असंतुलन एवं खंडित वित्तीय क्षेत्र वाली अर्थव्यवस्था की विरासत के बावजूद भारत वित्त वर्ष 2023-24 में 3.7 लाख करोड़ डॉलर की अनुमानित जीडीपी के साथ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘10 साल की यह यात्रा ठोस एवं क्रमिक दोनों तरह के कई सुधारों से गुजरी है। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन सुधारों ने आर्थिक मजबूती भी दी है जिसकी देश को भावी अप्रत्याशित वैश्विक झटकों से निपटने के लिए जरूरत होगी।’’ इसी के साथ मंत्रालय ने कहा कि अगले तीन वर्षों में भारत के पांच लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सरकार ने वर्ष 2047 तक ‘विकसित देश’ बनने का एक बड़ा लक्ष्य रखा है। सुधारों की यात्रा जारी रहने पर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।’’ समीक्षा रिपोर्ट कहती है, ‘‘घरेलू मांग की ताकत ने पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था को सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दी है। वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत के करीब रहने की संभावना है। वर्ष 2030 तक वृद्धि दर के सात प्रतिशत से अधिक रहने की काफी गुंजाइश है।’’
हालांकि, मंत्रालय ने समीक्षा में पाया कि हालिया एवं भावी संरचनात्मक सुधारों के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के लिए भू-राजनीतिक संघर्षों का बढ़ा जोखिम चिंता का सबब बन सकता है। इसके मुताबिक, ‘‘मुद्रास्फीति अंतर और विनिमय दर के संबंध में उचित धारणाओं के अनुरूप भारत अगले छह-सात साल में (2030 तक) सात लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा कर सकता है।’’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने समीक्षा रिपोर्ट की भूमिका में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड के बाद अपने पुनरुद्धार को कायम रखने के लिए संघर्ष कर रही है और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे कुछ झटके 2024 में भी लौट आए हैं। अगर ये झटके कायम रहते हैं तो दुनियाभर में व्यापार प्रवाह, परिवहन लागत, आर्थिक उत्पादन और मुद्रास्फीति को प्रभावित करेंगे।