गलवान पर चीन के झूठ का पर्दाफाश, हिंसा के दौरान बर्फीली नदी में बह गए थे 38 PLA जवान

By अभिनय आकाश | Feb 03, 2022

चीन यानी ड्रैगन का झूठ पकड़ा गया है। 15-16 जून की दरमियानी रात को भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में जो संघर्ष हुआ था उसमें 38 पीएलए सैनिक नदी में बह गए थे। हमेशा दुनिया से चीन झूठ बोलता रहा है और अपने सैनिकों के हताहत होने की खबर को छुपाता रहा है। ऑस्ट्रेलियन अखबार के हवाले से खबर है कि गलवान में 38 चीनी सैनिक डूब कर मरे थे। ये बात लगातार भारत कहता आया है और अब ऑस्ट्रिेलिया के अखबार के हवाले से भी खबर है, जिसने चीन के झूठ को बेनकाब कर दिया है।

चीन का झूठ बेनकाब

द क्लेक्सन में छपी एंथनी क्लान की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि घाटी में गलवान नदी पार करते समय कई चीनी सैनिक नदी में बह गए थे। इनकी संख्या चीन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों की तुलना में दस गुना थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि तथ्यों को प्रभावित करने के लिए गलवान में हुई दो अलग-अलग तथ्यों और तस्वीरों को आपस में जोड़ दिया गया। इस जांच के लिए द क्लेक्सन ने सोशल मीडिया शोधकर्ताओं की एक टीम गठित की थी। इस टीम ने पाया कि जो जानकारी बीजिंग ने दी है वो सही नहीं है।

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भारतीय जवानों की बहादुरी के आगे वापस लौटने पर मजबूर हुए पीएलए सैनिक

चीन की कथनी और करनी में कितना अंतर है वो इस बात से पता चलता है। 15 और 16 जून को जो गलवान हिंसा हुई थी। हिंसा में चीन ने फिर स्वीकार किया कि चार लोगों की जान गई है। लेकिन द क्लेक्सन की रिसर्चर्स की रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 38 लोगों की जान डूबने की वजह से गयी है। अखबार में दावा किया गया है कि गलवान में हिंसा के बाद भारतीय सैनिकों की बहादुरी के आगे चीन के सैनिक वापस लौट रहे थे। चीन का दावा एक बार फिर झूठा साबित हुआ है। जबकि चीन बार-बार ये दोहराता रहा है और आधिकारिक तौर पर उसने आज तक आंकड़े बताये नही। चीन की तरफ से मरने के बाद 4 सैनिकों को अवार्ड दिया गया है। ये माना गया कि गलवान हिंसा में ही उनकी जान गई। चीन की तरफ से जाहिर नहीं किया गया लेकिन अवार्ड जिस इलाके में बहादुरी के लिए दिया गया वो गलवान का हिस्सा है। इसलिए ये माना गया कि गलवान में उनकी जान गई।

20 भारतीय वीरों ने गंवाई थी जान

बता दें कि गलवानी घाटी में चीनी सैनिकों के साथ 15-16 जून 2020 की रात को हुए भीषण संघर्ष में 20 भारतीय जवानों ने अपने प्राण गंवा दिए थे। जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बिंदुओं पर दोनों सेनाओं ने बल और भारी हथियारों की तैनाती कर दी थी। राजधानी दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पर गलवान में शहीद हुए 20 सैनिकों के नाम अंकित किए गए हैं। 


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