उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक बार फिर से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच तल्खी दिखाई दे रही है। इन सब के बीच आज अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक और वर्तमान में संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान आशु मलिक भी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच शिवपाल यादव को लेकर चर्चा जरूर हुई होगी। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप के बाद विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक साथ आए थे। दोनों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि चुनावी नतीजों के बाद एक बार फिर से दोनों के रास्ते अलग-अलग दिखाई पड़ रहे हैं।
शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही चर्चा गर्म है। आज शिवपाल यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्विटर पर फॉलो भी कर लिया। इसके साथ ही उनके अयोध्या जाने की भी खबर है। सूत्र के दावा कर रहे हैं कि शिवपाल यादव भाजपा में शामिल होने के बाद राज्यसभा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जसवंतनगर की सीट से उनके बेटे चुनाव लड़ सकते हैं। यही कारण है कि अचानक अखिलेश यादव भी दिल्ली पहुंच गए जहां उन्होंने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की है। आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं शिवपाल यादव। शिवपाल यादव हमेशा मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानते हैं।
गौरतलब है कि 2017 के बाद से अलग-अलग रहने के बाद, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आपसी रिश्ते सुधारने का फैसला किया था। आपसी मनमुटाव के कारण शिवपाल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनायी थी। इस बार शिवपाल सपा के चुनाव चिह्न पर अपनी पारंपरिक जसवंतनगर सीट से छठी बार जीते हैं। खबरों से पता चलता है कि 26 मार्च को नवनिर्वाचित सपा विधायकों की बैठक में शिवपाल यादव को आमंत्रित नहीं किए जाने के बाद से उनके और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। शिवपाल यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख हैं, लेकिन उन्होंने सपा के साइकिल चिह्न पर हाल ही में संपन्न विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वह सोमवार को अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और एक विधायक के रूप में शपथ लेने में देरी की थी।